मातृ भू के पुत्र वीर हम, दुश्मनो को दें खदेढ़ हम
देश रक्षा करें,धर्म रक्षा करें, युद्ध में न पीछे हटें ||
राष्ट्र को ही देव मानकर चले हैं हम,यही एक राष्ट्र धर्म जानते है हम
स्वतंत्र देश की महान यह परम्परा, रक्त सींच कर पवित्र हो गयी धरा
सिंधु को पार कर, हाथ संगीन ले, ध्येय मार्ग पर हैं हम बढ़े ||
मातृ भू के पुत्र वीर हम, दुश्मनो को दें…………………….
बढ़ रहे आज हम तूफान ले चले, वीर शिवाजी के रणबांकुरे चले
वीर पुत्र युद्ध भूमि से कभी हटे, शत्रुओं को मारकर फिर स्वय कटे
विघ्न मे कूद कर, सिंह से हम बढ़े, मौत दर के पीछे हटे ||
मातृ भू के पुत्र वीर हम, दुश्मनो को दें…………………….
बढ़े कदम रुके न हम वीर मंत्र लें, कार्य की ध्वजा अखण्ड साथ ले चले
विजय घोष गर्जना दिशा हिला गयी, अजेय हम सदा हमें विजय ही मिल गयी
मातृ भू के लिए, प्राण जाएँ भले, अब कदम न पीछे हटें
मातृ भू के पुत्र वीर हम, दुश्मनो को दें खदेढ़ हम
देश रक्षा करें,धर्म रक्षा करें, युद्ध में न पीछे हटें ||