नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् ।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।।
समुत्कर्षनिःश्रेयस्यैकमुग्रं
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम् ।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३।।
।। भारत माता की जय ।।
Tuesday, June 9, 2009
Monday, June 8, 2009
राम कहाँ से लाऊ
जो युग बीत गया हो उसका अंजाम कहाँ से लाऊ , कलयूग मैं रहने वाला हूँ राम कहाँ से लाऊ . सीता को भी ढूँढा लेकिन मिल ना पाया अब तक , सीता का जो त्याग करें वो राम कहाँ से लाऊ . कलयूग मैं रहने वाला हूँ राम कहाँ से लाऊ . कुंज की गलिन गलिन में , वृन्दावनके वृक्ष वृक्ष में , माखन मुरली छोड़ गया जो वो श्याम कहाँ से लाऊ . शिव शंकर का अंश है आख़िर ,राम के संग रहते है जो, संकट से हर बार बचायं वो हनुमान कहाँ से लाऊ . कण कण में विष भरा हुआ हैं , राम रहें जहाँ इतना पावन धाम कहाँ से लाऊ . कलयूग मैं रहने वाला हूँ राम कहाँ से लाऊ .
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