जो युग बीत गया हो उसका अंजाम कहाँ से लाऊ , कलयूग मैं रहने वाला हूँ राम कहाँ से लाऊ . सीता को भी ढूँढा लेकिन मिल ना पाया अब तक , सीता का जो त्याग करें वो राम कहाँ से लाऊ . कलयूग मैं रहने वाला हूँ राम कहाँ से लाऊ . कुंज की गलिन गलिन में , वृन्दावनके वृक्ष वृक्ष में , माखन मुरली छोड़ गया जो वो श्याम कहाँ से लाऊ . शिव शंकर का अंश है आख़िर ,राम के संग रहते है जो, संकट से हर बार बचायं वो हनुमान कहाँ से लाऊ . कण कण में विष भरा हुआ हैं , राम रहें जहाँ इतना पावन धाम कहाँ से लाऊ . कलयूग मैं रहने वाला हूँ राम कहाँ से लाऊ .
1 comment:
संघियों को पुरातन काल से आगे सोचना होगा।
दूसरा हेडगेवार कहाँ से लाऊँ?
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