मन मस्त फकीरी धारी है अब एक ही धुन जय जय भारत |
जय जय भारत जय जय भारत जय जय भारत जय जय भारत ||
हम ध न्य है इस जाग जननी की सेवा का अवसर है पाया |
इसकी माटी वायु जल से दुर्लभ जीवन है विकसाया |
यह पुष्प इसी के चरढो मे माँ प्राणो से भी प्यारी है |
मन मस्त फकीरी धारी है अब एक ही धुन जय जय भारत ||
सुंदर सपने नव आकर्षण सब छोड़ चले मुख मोड़ चले |
वैभव महलों का क्या करना सोते सुख से आकाश तले |
साधन की ओर न ताकेगे कांटों की राह हमारी है |
मन मस्त फकीरी धारी है अब एक ही धुन जय जय भारत ||
इस समय चुनोती भीषड है और देश द्रोह सीना ताने |
पथ भ्रष्ट नीतिया चलती है आतंकी घूमें मन माने |
जन जन में स्वत्व जगाये गे अब अपनी ही तो बारी है |
मन मस्त फकीरी धारी है अब एक ही धुन जय जय भारत ||
ऋषियों मुनियों संतों का त प अनमोल हमारी थाती है |
वालिदानी वीरों की गाथा अपने रंग में लहराती है|
गौरावमय नव इतिहास रचें अब अपनी ही तो बारी है |
मन मस्त फकीरी धारी है अब एक ही धुन जय जय भारत ||
Friday, March 19, 2010
Tuesday, January 26, 2010
यह हिमालय सा उठा मस्तक ना झुकने पाएगा
यह हिमालय सा उठा मस्तक ना झुकने पाएगा
रोक दूँगा में प्रभंजन को जो प्रलय के गीत गाता
मोड़ दूँगा धार नद की नाश का संदेश लाता
ध्वंश का डंका बजा कर मत डराओ तुम मुझे
आज नाव निर्माण का यह स्वर ना रुकने पाएगा
जानते हो स्वार्थ की होली जलाकर जो चले
जानते हो मोह की अर्थी सजाकर जो चले
मोल उनको ले ना पायोगे रुफले ठिकारों से
रक्त से सींचा गया यह देश तरू हरियाएगा
हम लूटा देंगे जवानी एक क्या लाखों यहा पर
हम चड़ा देंगे सुमन बलिदान की नव -वेदिका पर
जाग उठेंगी हड्डिया सोई पड़ी चित्तोड़ राज मे
मात्रि-भू के भाल पर फिर अरुण ध्वज फहराएगा !!
!! भारत माता की जय !!
रोक दूँगा में प्रभंजन को जो प्रलय के गीत गाता
मोड़ दूँगा धार नद की नाश का संदेश लाता
ध्वंश का डंका बजा कर मत डराओ तुम मुझे
आज नाव निर्माण का यह स्वर ना रुकने पाएगा
जानते हो स्वार्थ की होली जलाकर जो चले
जानते हो मोह की अर्थी सजाकर जो चले
मोल उनको ले ना पायोगे रुफले ठिकारों से
रक्त से सींचा गया यह देश तरू हरियाएगा
हम लूटा देंगे जवानी एक क्या लाखों यहा पर
हम चड़ा देंगे सुमन बलिदान की नव -वेदिका पर
जाग उठेंगी हड्डिया सोई पड़ी चित्तोड़ राज मे
मात्रि-भू के भाल पर फिर अरुण ध्वज फहराएगा !!
!! भारत माता की जय !!
Monday, January 25, 2010
युगों युगों से यही हमारी बनी हुई परिपाटी है
युगों युगों से यही हमारी बनी हुई परिपाटी है
खून दिया है मगर नहीं दी कभी देश की माटी है
इस धरती ने जन्म दिया है यही पुनिता माता
है एक प्राण दो देह सरीखा इससे अपना नाता है
यह पावन माटी ललाट की ललित ललाम लालटी है
खून दिया है मगर नहीं दी कभी देश की माटी है
इसी भूमि पुत्री के कारण भस्म हुई लंका सारी
सुई नोक भर भू के पीछे हुआ महाभारत भारी
पानी सा बह उठा लहू फिर पानीपत के प्रांगड़ मे
बिछा दिए रिपुओ के शव थे उसी तारायण के रण मे
प्रष्ट बाचती इतिहासो के अब भी हल्दी घाटी है
खून दिया मगर नहीं दी कभी देश की माटी है
सिख मराठा राजपूत क्या बंगाली क्या मद्रासी
इसी मंत्र का जाप कर रहे युग युग से भारत वासी
बुन्देले अब भी दोहराते यही मंत्र है झाँसी में
देंगे प्राण न देंगे माटी गूँज रहा है नस-नस मे
शीश चढ़ाए काट गर्द ने या अरी गर्दन काटी है
खून दिया है मगर नहीं दी कभी देश की माटी है
इस धरती के कण कण पर चित्र खिचा कुर्बानी का
एक एक कण छन्द बोलता चढ़ी शहीद जवानी का
ये इसके कण नहीं अरे ज्वालामुखियों की लपटे है
किया किसी ने दावा इन पर ये दावा शे झपटे हैं
इन्हें चाटने बढ़ा उसी ने धूल धरा की चाटी है
खून दिया मगर नहीं दी कभी देश की माटी है
वंदे मातरम
खून दिया है मगर नहीं दी कभी देश की माटी है
इस धरती ने जन्म दिया है यही पुनिता माता
है एक प्राण दो देह सरीखा इससे अपना नाता है
यह पावन माटी ललाट की ललित ललाम लालटी है
खून दिया है मगर नहीं दी कभी देश की माटी है
इसी भूमि पुत्री के कारण भस्म हुई लंका सारी
सुई नोक भर भू के पीछे हुआ महाभारत भारी
पानी सा बह उठा लहू फिर पानीपत के प्रांगड़ मे
बिछा दिए रिपुओ के शव थे उसी तारायण के रण मे
प्रष्ट बाचती इतिहासो के अब भी हल्दी घाटी है
खून दिया मगर नहीं दी कभी देश की माटी है
सिख मराठा राजपूत क्या बंगाली क्या मद्रासी
इसी मंत्र का जाप कर रहे युग युग से भारत वासी
बुन्देले अब भी दोहराते यही मंत्र है झाँसी में
देंगे प्राण न देंगे माटी गूँज रहा है नस-नस मे
शीश चढ़ाए काट गर्द ने या अरी गर्दन काटी है
खून दिया है मगर नहीं दी कभी देश की माटी है
इस धरती के कण कण पर चित्र खिचा कुर्बानी का
एक एक कण छन्द बोलता चढ़ी शहीद जवानी का
ये इसके कण नहीं अरे ज्वालामुखियों की लपटे है
किया किसी ने दावा इन पर ये दावा शे झपटे हैं
इन्हें चाटने बढ़ा उसी ने धूल धरा की चाटी है
खून दिया मगर नहीं दी कभी देश की माटी है
वंदे मातरम
Sunday, January 24, 2010
"आज हिमालय की चोटी से ध्वज भगवा लहराएगा"
आज हिमालय की चोटी से ध्वज भगवा लहराएगा
जाग उठा है हिंदू फिर से भारत स्वर्ग बनाएगा
इस झंडे की महिमा देखो रंगत अजब निराली है
इस पर तो ईश्वर ने डाली सूर्योदय की लाली है
प्रखर अग्नि मे इस की पड़ शत्रु स्वाहा हो जाएगा
जाग उठा है हिंदू फिर से भारत स्वर्ग बनाएगा
इस झंडे को चंद्रगुप्त ने हिंदू कुश पर लहराया
मरहट्तों ने मुगल तखत को चूर चूर कर दिखलाया
मिट्टी मे मिल जायेगा जो इसको अकड़ दिखाएगा
जाग उठा है हिंदू फिर से भारत स्वर्ग बनाएगा
झंडे की खातिर देखो प्रांण दिए रानी झाँसी
हमको भी यह व्रत लेना है चाहे हो सूली फाँसी
बच्चा बच्चा वीर वनेगा अपना रक्त बहायेगा
जाग उठा है हिंदू फिर से भारत स्वर्ग बनाएगा.
!!भारत माता की जय!!
जाग उठा है हिंदू फिर से भारत स्वर्ग बनाएगा
इस झंडे की महिमा देखो रंगत अजब निराली है
इस पर तो ईश्वर ने डाली सूर्योदय की लाली है
प्रखर अग्नि मे इस की पड़ शत्रु स्वाहा हो जाएगा
जाग उठा है हिंदू फिर से भारत स्वर्ग बनाएगा
इस झंडे को चंद्रगुप्त ने हिंदू कुश पर लहराया
मरहट्तों ने मुगल तखत को चूर चूर कर दिखलाया
मिट्टी मे मिल जायेगा जो इसको अकड़ दिखाएगा
जाग उठा है हिंदू फिर से भारत स्वर्ग बनाएगा
झंडे की खातिर देखो प्रांण दिए रानी झाँसी
हमको भी यह व्रत लेना है चाहे हो सूली फाँसी
बच्चा बच्चा वीर वनेगा अपना रक्त बहायेगा
जाग उठा है हिंदू फिर से भारत स्वर्ग बनाएगा.
!!भारत माता की जय!!
Friday, January 22, 2010
संघ प्रार्थना का हिन्दी में अर्थ
हे मातृभूमि, तुम्हे प्रणाम ! इस मातृभूमि ने हमें बच्चों की तरह स्नेह और ममता दी है. इस हिन्दू भूमि पर सुख पूर्वक में बड़ा हुवा हूँ. यह भूमि महा मंगलमय और पुण्य भूमि है. इस भूमि की रक्षा के लिए मेरा यह नश्वर शरीर में मातृभूमि को अर्पण करते हुवे इस भूमि को बार बार प्रणाम करता हूँ.हे सर्व शक्तिमान परमेश्वर, इस हिन्दू राष्ट्र के घटक के रूप में मैं तुमको सादर प्रणाम करता हूँ. आपके ही कार्य के लिए हम कटिबद्ध हुवे है. हमें इस कार्य को पूरा करने किये आशीर्वाद दे. हमें ऐसी शक्ति दीजिये कि हम इस पुरे विश्व को जीत सकें और ऐसी नम्रता दें कि पूरा विश्व हमारे सामने नतमस्तक हो सकें यह रास्ता काटों से भरा हुवा है, इस कार्य को हमने स्वयम स्वीकार किया है और इसे सुगम कर काटों रहित करेंगे.उच्च ऐसा आध्यात्मिक सुख और महान ऐसी ऐहिक समृद्धि को प्राप्त करने का एकमात्र श्रेष्ट साधन उग्र वीरव्रत की भावना हमारे अन्दर सदेव जलती रहे तीव्र और अखंड ध्येय निष्ठां की भावना हमारे अंतःकरण में जलती रहे. आपके असीम कृपा से हमारी यह विजयशालिनी संघठित कार्यशक्ति हमारे धरम का सरंक्षण कर इस राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने में समर्थ हो. भारत माता की जय
Subscribe to:
Posts (Atom)