भौगोलिक रूप से भारत की स्थिति विश्व में आदित्य है | मानव जीवन के लिए उपयुक्त उत्तम जलवायु, कल- कल बहती नदिया, सोना उगलती मिट्टी विश्व में और कही नहीं है | तीन तरफ से हिमालय सीना ताने प्रहरी के सामान खडा है ,वहीँ दक्षिण में सागर तीन तरफ से घेर कर रक्षा कर रहा है| इसी भारत में नदियों के तट पर एक संस्कृति का जन्म हुआ,जिसे हिन्दू धर्म कहते है | इसकी किसी ने शुरुआत नहीं की इस लिए इसे सनातन धर्म भी कहते है | जीवन चार के प्रमुख कार्य को समाज के चार भाग कर में बाँट दिए गया| सनातन धर्म की रक्षा करने का और विदेशियों से देश की सुरक्षा का भार क्षत्रियो को सौपा गया परन्तु ये क्षत्रिये कौन थे और क्या ये सचमुच थे ?|इतिहास गवाह है बिदेशियो ने लगातार भारत पर हमला किया भारत के मंदिरों को लूटा सोम नाथ, काशी विश्व नाथ अयोध्या मथुरा जो सनातन धर्म के आधार है लूटा और मंदिरों को ध्वस्त किया , लाखो लोगो का धर्म परिवर्तन किया परन्तु ना देश की जनता एक जुट होके आगे आयी और ना ही ये कथित 'क्षत्रिये' दिखाई दिए, और ना ही हिन्दू धर्म के ठेकेदार धर्मचारी कहीं दिखाई दिए जो भारत को एकजुट कर के विदेशियों का मुकाबला कर सके |
हम ने अपनी कर्म व्यस्था (जातिवाद )से इतने जुड़ गए है राष्ट्र के प्रति संवेदना ख़त्म हो गयी है| हम अपनी जाती गौरव के लिए मरने मारने को तैयार रहते है किन्तु राष्ट्र के लिए कोई तैयार है नहीं ?| हमारे राजनीतिक दल केवल जाती समूह के रक्षक बन कर रह गएँ है, गावों और शहरो में आपसी घृणा बड़ी है...जात बड़ी है| जाट आरक्षण, गुर्जर आरक्षण, जैसे आरक्षणों के लिए पूरा समाज इकट्ठा हो जाता है किन्तु राष्ट्र-धर्म के लिए कोई खडा हो ऐसा देखने में नहीं आया|
महर्षि अरविन्द ने कहा था भारत वासी कभी एक नहीं हुए न ही उन्होंने कोई भी धर्म युद्ध एकजुट होके लड़ा,मराठा मराठो के लिए लड़े, राजपूत राजपूतो के लिए|
आदि गुरु शंकराचार्य के समय इस्लाम का आगमन केरल में हो गया था हिन्दू धर्माचार्यो ने भारतीय व्यापारियों को भारत से बाहर जाने को मना कर दिया था इसलिए बिदेशो का सारा व्यापार मुसलमानों के हाथ हो गया | यूरोप का सारा व्यापार केरल से होता था केरल से मसाले कपडे बड़ी मात्रा में यूरोप जाते थे| इसाई व्यपार के बहाने धर्म परिवर्तन करवाते रहे और देश पर कब्ज़ा करते रहे, परन्तु उन्हें रोकने न तो कोई धर्माचार्य आगे आया न कथित 'क्षत्रिय' |
जब अरब में इस्लाम का उदय हुआ तो वहा के व्यापारियों ने इस्लाम स्वीकार किया आदि गुरु शंकराचार्य जी ने इस्लाम के खतरे को देखा तो उन्हों हिन्दू धर्म की रक्षाके लिए पूरे देश में भ्रमण किया चार पीठे बनवा दीये और अखाड़ो का निर्माण किया| उन्होंने कश्मीर में अनगिनत मंदिर बनवा दीये ताकि मंदिर के बहाने हिन्दू कश्मीर से जुड़ा रहे, परन्तु जब कश्मीर पर मुगलों ने आक्रमण किया तो उसे बचाने कोई भी क्षत्रिय या धर्माचार्य(शंकराचार्य) देश के अन्य हिस्से से वहाँ नहीं पंहुचा| आज के शंकराचार्यों का भी यही हाल है देश में क्या हो रहा है इन्हें कोई मतलब नहीं, हिन्दू धर्म परिवर्तन करता है तो करने दो मरता है तो मरने दो , जातिवाद सनातन को खोखला करता है तो करने दो, छुआ -छूत मिटे -न मिटे, बस इन्हें अपने पद से मतलब है पद मिल गया और मज़े से जिन्दगी कट गयी |
वहीँ दूसरी तरफ अगर इस्लाम पर दुनिया के किसी भी कोने में कोई बात हो जाये यहाँ के मुल्ला -मोलवी तुरंत फ़तवा जारी कर देते है चाहे उसका इनसे कोई मतलब हो या न हो|
अपनी जाती को लेके हिन्दुओं में इतना गर्व है की जातिवाद के जरा से झगडे में हथियार निकल जाते हैं , लोग मरने मारने पर उतारू हो जाते है परन्तु जब धर्म की बात आती है तो कायर बन जाते हैं |
जब कश्मीर में औरंगजेब ने कश्मीरी ब्राह्मणों को जबरदस्ती मुसलमान बनाना शुरू किया तो कश्मीरी ब्रह्मण शंकराचार्यों के पास नहीं गए बल्कि गुरु तेग बहादुर के पास गए जिन्हों अपनी जान दे कर उन की रक्षा की| हिन्दू धर्म में क्षत्रियों अनुपस्थित होना को गुरु गोवुन्द सिंह जी ने समझा उन्हों ने हर परिवार के एक युवक माँगा जो असल में क्षत्रिय बन सके और धर्म-देश के लिए जान दे सके | वीर शिवा जी ने मराठो को इकट्ठा किया और मुगलों से लोहा लिया, प्रथ्वी राज ,शुहैल पासी जैसे वीर हिन्दुओं के लिए लड़े परन्तु ये शंकराचार्य अपने आसन से नहीं उतरे ना ही उन्होंने हिन्दुओं को एक जुट किया और ना ही इनके अधीन अखाड़ो ने अपनी कोई सक्रीय भूमिका निभाई|
भारत हमेसा से सोने की चिड़िया कहलाता रहा है इस का मतलब धन-खनिज संपदा खूब थी /है परन्तु रक्षा करने वाला कोई नहीं था /है मुट्ठी भर आक्रमणकारी आते रहे लूट कर ले जाते रहे परन्तु हम अपने आपसी झगड़ो में उलझते रहे कभी जाती के नाम पर कभी प्रदेश के नाम पर और अब भी यही हाल है|
हम कब जागेंगे और जातिवाद छोड़ देश और अपने धर्म के बारे में सोचेंगे?
Monday, November 21, 2011
Thursday, June 2, 2011
ऐसी आज़ादी और कहां ?
हिन्दुस्तान आज़ाद है और यहां जैसी आज़ादी और कहां? दुनियां के किसी भी हिस्से में आप कहीं भी चले जाए आपकी नाक में नकेल ना हो,ऐसा हो ही नहीं सकता|वहाँ के नियम क़ानून फाँसी के फंदे की तरह आपके गले में लटके रहतें हैं और आप भी मारे डर के उनका पालन करते हैं|अपने यहां पूरी छूट है सारे क़ानून-नियम मुहँ ताकते रह जाते हैं और आप आज़ाद परिन्दे की तरह उड़ान भरते रहते हैं|बस मे खिड़की से चड़े या डरबाजे से आपकी मर्ज़ी,सड़क के किनारे थूकें या दीवारों पर या कहीं भी बीचों बीच आपकी मर्ज़ी,अपना वाहन पार्किंग मे खड़ा करें या रास्ते के बीच में ,टिकट लेते समय लाइन में खड़े हो या लाइन तोड़ कर आपकी मर्ज़ी अपने यहां गजब की छूट है|राष्ट्रीय इमारतों या पुराने किलों की दीवारों को खुरच-खुरच कर अपने प्रेमी-प्रेमिका के नाम लिखने की छूट,क्लास मे डेस्कों व बेंचों पर नायक नायिकाओं की शकले बनाना शेर शायरी कविता लिखने की छूट,गली में कही भी कचरा फेंकने की छूट,पानी को खुला छोड़ने की छूट,कही भी अड़ंगी मार कर बिजली का कनेक्सन जोड़ने की छूट,शराब पी कर गलियों में हो हल्ला करने की छूट,गाड़ियों मे बिना टिकट चलने की छूट,कभी कभार पकड़े जाने पर रिशवत देने की छूट,वाहनों की स्पीड लिमिट लाँघने की छूट,बिना नंबर की गाड़ी की छूट,लाल बत्ती पर शान से घूमने की छूट,कही भी बैठ कर भीख माँगने की छूट यानी छूट ही छूट जैसे की देश में डिसकाअंट सीजन चल रहा हो सीजन क्या सीजन तो साप्ताह या पखवाड़े का होता है पर यह छूट तो सनातन रूप से चल रही है किसकी मज़ाल कि हमारी आज़ादी में दखल दे सके | और यदि कोई हिम्मत करके इस छूट पर अंकुश लगाने कि कोशिश करता है तो समाज अपना मुहँ गलियों से भर लेता है |
विदेशों मे जाकर हमारा मान क्यों नहीं लगता? लगे भी कैसे? क्या किसी मुल्क मे इतनी आज़ादी है?नियमों कि तलवार हर वक्त सिर पर लटकती है और हम उनके सामने भीगी बिल्ली बने रहते हैं पर अपने देश में शेर बन कर जीवन जीते हैं पर इस तरह हमारे शेर बनने पर धिक्कार है स्कूल मे ऐसा पाठ पड़ाया जाए जो ये नौबत ही ना आए होस्टल मे अपनी थाली में उतना ही भोजन परोसे जितना पेट मे समा सके कमाल कि बात तो यह है कि दुपहिया वाहनों इठला कर बैठने बलों को हेल्मेट भी जबरदस्ती पहनाना पड़ता है|हमारा इतना सा सपना है सभी डस्टबीन कि गरिमा को समझें|उन आँखों को देखें जो दाने दाने को तरसती है उन माता और बहनों के दिल का दर्द समझें जिनका अपना बेटा ,भाई बिना हेल्मेट के जीवन को समाप्त कर के चला गया |
ज़य हिंद ज़य भारत
विदेशों मे जाकर हमारा मान क्यों नहीं लगता? लगे भी कैसे? क्या किसी मुल्क मे इतनी आज़ादी है?नियमों कि तलवार हर वक्त सिर पर लटकती है और हम उनके सामने भीगी बिल्ली बने रहते हैं पर अपने देश में शेर बन कर जीवन जीते हैं पर इस तरह हमारे शेर बनने पर धिक्कार है स्कूल मे ऐसा पाठ पड़ाया जाए जो ये नौबत ही ना आए होस्टल मे अपनी थाली में उतना ही भोजन परोसे जितना पेट मे समा सके कमाल कि बात तो यह है कि दुपहिया वाहनों इठला कर बैठने बलों को हेल्मेट भी जबरदस्ती पहनाना पड़ता है|हमारा इतना सा सपना है सभी डस्टबीन कि गरिमा को समझें|उन आँखों को देखें जो दाने दाने को तरसती है उन माता और बहनों के दिल का दर्द समझें जिनका अपना बेटा ,भाई बिना हेल्मेट के जीवन को समाप्त कर के चला गया |
ज़य हिंद ज़य भारत
Tuesday, February 8, 2011
उठो जवान देश की वसुंधरा पुकारती.
उठो जवान देश की वसुंधरा पुकारती
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती
रगों में तेरे बह रहा है खून राम श्याम का
जगदगुरु गोविंद और राजपूती शान का
तू चल पड़ा तो चल पड़ेगी साथ तेरे भारती
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती ||
उठा खडग बढा कदम कदम कदम बढाए जा
कदम कदम पे दुश्मनो के धड़ से सर उड़ाए जा
उठेगा विश्व हांथ जोड़ करने तेरी आरती
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती ||
तोड़कर ध्ररा को फोड़ आसमाँ की कालिमा
जगा दे सुप्रभात को फैला दे अपनी लालिमा
तेरी शुभ कीर्ति विश्व संकटों को तारती
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती ||
है शत्रु दनदना रहा चहूँ दिशा में देश की
पता बता रही हमें किरण किरण दिनेश की
ओ चक्रवती विश्वविजयी मात्र-भू निहारती
देश है पुकारता पुकरती माँ भारती ||
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती
रगों में तेरे बह रहा है खून राम श्याम का
जगदगुरु गोविंद और राजपूती शान का
तू चल पड़ा तो चल पड़ेगी साथ तेरे भारती
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती ||
उठा खडग बढा कदम कदम कदम बढाए जा
कदम कदम पे दुश्मनो के धड़ से सर उड़ाए जा
उठेगा विश्व हांथ जोड़ करने तेरी आरती
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती ||
तोड़कर ध्ररा को फोड़ आसमाँ की कालिमा
जगा दे सुप्रभात को फैला दे अपनी लालिमा
तेरी शुभ कीर्ति विश्व संकटों को तारती
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती ||
है शत्रु दनदना रहा चहूँ दिशा में देश की
पता बता रही हमें किरण किरण दिनेश की
ओ चक्रवती विश्वविजयी मात्र-भू निहारती
देश है पुकारता पुकरती माँ भारती ||
Saturday, February 5, 2011
जीवन में कुछ करना है तो.
जीवन में कुछ करना है तो मन को मारे मत बैठो
आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो ||
चलने वाला मंज़िल पाता बैठा पीछे रहता है
ठहरा पानी सड़ने लगता बहता निर्मल होता है
पाँव मिले चलने की खातिर पाँव पसारे मत बैठो
आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो ||
तेज दौड़ने वाला खरहा कुछ पल चलकर हार गया
धीरे-धीरे चलकर कछुआ देखो बाजी मार गया
चलो कदम से कदम मिलाकर दूर किनारे मत बैठो
आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो ||
धरती चलती तारे चलते चाँद रात भर चलता है
किरणों का उपहार बाँटने सूरज ऱोज़ निकलता है
हवा चले तो महक बिखरे तुम भी प्यारे मत बैठो
आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो ||
आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो ||
चलने वाला मंज़िल पाता बैठा पीछे रहता है
ठहरा पानी सड़ने लगता बहता निर्मल होता है
पाँव मिले चलने की खातिर पाँव पसारे मत बैठो
आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो ||
तेज दौड़ने वाला खरहा कुछ पल चलकर हार गया
धीरे-धीरे चलकर कछुआ देखो बाजी मार गया
चलो कदम से कदम मिलाकर दूर किनारे मत बैठो
आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो ||
धरती चलती तारे चलते चाँद रात भर चलता है
किरणों का उपहार बाँटने सूरज ऱोज़ निकलता है
हवा चले तो महक बिखरे तुम भी प्यारे मत बैठो
आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो ||
इतिहास गा रहा है.
इतिहास गा रहा है दिन रात गुण हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
इस पर जनम लिया है इसका पिया है पानी
माता यह है हमारी यह है पिता हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
वह देवता हिमालय हमको पुकारता है
गुण गा रही है निश-दिन गंगा की शुभ पुण्य धारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
पोरस की वीरता को झेलम तू ही बता दे
यूनान का सिकंदर था तेरे तट पे हारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
उज्जैन फिर सुना दे विक्रम की वह कहानी
जिसमे प्रकट हुआ था संवत नया हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
आता है याद हरदम गुप्तों का वह जमाना
सारे जहाँ पे छाया वह स्वर्ण-युग हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
चित्तोड़ रायगढ़ और चमकौर फिर गरज उठे थे
सदियों लड़ा निरन्तर आज़ाद खूं हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
दी क्रांतिकारियों ने अंग्रेज को चुनौती
पल-पल प्रकट हुआ था स्वातंत्र्य वह हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
हम इनको भूल जाएँ संभव नहीं कभी यह
इनके लिए जियेंगे यह धर्म है हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
होगा भविष्य उज्ज्वल संसार में अनोखा
बतला रहा है हमको यह संगठन हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
इस पर जनम लिया है इसका पिया है पानी
माता यह है हमारी यह है पिता हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
वह देवता हिमालय हमको पुकारता है
गुण गा रही है निश-दिन गंगा की शुभ पुण्य धारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
पोरस की वीरता को झेलम तू ही बता दे
यूनान का सिकंदर था तेरे तट पे हारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
उज्जैन फिर सुना दे विक्रम की वह कहानी
जिसमे प्रकट हुआ था संवत नया हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
आता है याद हरदम गुप्तों का वह जमाना
सारे जहाँ पे छाया वह स्वर्ण-युग हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
चित्तोड़ रायगढ़ और चमकौर फिर गरज उठे थे
सदियों लड़ा निरन्तर आज़ाद खूं हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
दी क्रांतिकारियों ने अंग्रेज को चुनौती
पल-पल प्रकट हुआ था स्वातंत्र्य वह हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
हम इनको भूल जाएँ संभव नहीं कभी यह
इनके लिए जियेंगे यह धर्म है हमारा
दुनिया के लोगों सुन लो यह देश है हमारा ||
होगा भविष्य उज्ज्वल संसार में अनोखा
बतला रहा है हमको यह संगठन हमारा
सच्चा वीर बना दे माँ
सच्चा वीर बना दे माँ-सच्चा वीर बना दे माँ
ध्रुव जैसी मुझे भक्ति दे दे-अर्जुन जैसी शक्ति दे दे
गीता ज्ञान सुना दे माँ -सच्चा वीर बना दे माँ ||
वीर हक़ीकत मैं बन जाऊँ- धर्म पे अपना शीश कटाऊँ
ऐसी लगन लगा दे माँ-सच्चा वीर बना दे माँ ||
गूऱू गोविन्द सा त्यागी बना दे-शिवाजी जैसी आग लगा दे
हाँथ तलवार थमा दे माँ -सच्चा वीर बना दे माँ ||
केशव सा ध्येयनिष्ठ बना दे-माधव सा मुझे ज्ञान करा दे
जीवन देश पे चढ़ा दे माँ-सच्चा वीर बना दे माँ ||
ध्रुव जैसी मुझे भक्ति दे दे-अर्जुन जैसी शक्ति दे दे
गीता ज्ञान सुना दे माँ -सच्चा वीर बना दे माँ ||
वीर हक़ीकत मैं बन जाऊँ- धर्म पे अपना शीश कटाऊँ
ऐसी लगन लगा दे माँ-सच्चा वीर बना दे माँ ||
गूऱू गोविन्द सा त्यागी बना दे-शिवाजी जैसी आग लगा दे
हाँथ तलवार थमा दे माँ -सच्चा वीर बना दे माँ ||
केशव सा ध्येयनिष्ठ बना दे-माधव सा मुझे ज्ञान करा दे
जीवन देश पे चढ़ा दे माँ-सच्चा वीर बना दे माँ ||
Wednesday, February 2, 2011
"तरुणाई"
शांत रहूं तो धरती हूँ मैं जाग उठू विस्त्रत आकाश
मैं युग की हूँ विमल चेतना जीवन का माधुरम विश्वास |
मैं सपनों की अमर चेतना जीवन की अमराई
परिवतन है चेरी मेरी कहलाती हूँ तरुणाई|
मैने ही भूगोलों के इतिहास बदल डाले हैं
उठ कर आने पर मेरे ही शोषण के टूटे प्याले हैं|
वही राष्ट्र आगे बढ़ता है जिसकी जाग उठे तरुणाई
मंज़िल वही प्राप्त करता है जिसने 'लक्ष्य चेतना' पायी||
मैं युग की हूँ विमल चेतना जीवन का माधुरम विश्वास |
मैं सपनों की अमर चेतना जीवन की अमराई
परिवतन है चेरी मेरी कहलाती हूँ तरुणाई|
मैने ही भूगोलों के इतिहास बदल डाले हैं
उठ कर आने पर मेरे ही शोषण के टूटे प्याले हैं|
वही राष्ट्र आगे बढ़ता है जिसकी जाग उठे तरुणाई
मंज़िल वही प्राप्त करता है जिसने 'लक्ष्य चेतना' पायी||
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